प्रभु प्रेमियों ! 'महर्षि मेँहीँ साहित्य सूची' की सोलहवीं पुस्तक "महर्षि मेँहीँ वचनामृत ( प्रथम खंड )" है । इस पुस्तक में सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज के 16 प्रवचन हैं। इन प्रवचनों में मानव-जीवन के सर्वांगीण और पूर्ण विकास तथा कल्याण के लिए ईश्वर भक्ति या अध्यात्म-ज्ञान की अनिवार्य आवश्यकता है। वेदों, उपनिषदों, गीता, सन्तवाणियों में सदा से ईश्वर - स्वरूप, उसके साक्षात्कार करने की सयुक्ति एवं अनिवार्य सदाचार- पालन के निर्देश बिल्कुल एक ही हैं, केवल भाषा, शैली और शब्द-योजनाओं का ही उनमें भेद हैं- - तथ्य और अर्थ सभी के साररूप में एक ही हैं।