'अमीघुंट' नाम्नी पुस्तक ब्रह्मलीन पूज्यचरण १०८ श्री श्रीधर बाबा के उन उपदेशों का संग्रह है , जिनमें उन्होंने हजारो जन समुदाय के बीच किया है । उनका उपदेश अनपढ़ या पढ़वा सबों के लिए रुचिकर तथा हृदयग्राही होता था । मुझे उनके साथ बहुत बार कई-कई दिनों तक रहकर इनके उपदेशों को सुनने का मौका लगा है , सुनकर आनन्द से मस्तक झूम जाता था , हदय खिल उठता था । वे जब किसी सन्तवाणी का मर्म समझाने लगते थे , तो लगता था अमृत पिला रहे हैं । मैं तो उन महापुरुष से बहुत ही प्रभावित हूं। मेरे जानते वे परमाराध्य श्री सद्गुरु महाराज के शिष्यों में साधुता के गुणों में सर्वोपरि थे ।परमाराध्य श्री सद्गुरु महाराज उन्हें कर्मयोगी कहते थे । उनके सत्ताईस प्रवचनों का संग्रह यह ‘ अमीपँट ' नामी पुस्तक मानों अमृत - कलश है ।इस पुस्तक को पढ़कर किसका हृदय आनन्द से भर नहीं जायगा ?" -शाही 28-08-88 पृष्ठ 154+६ , मूल्य ₹35 मात्र डाकखर्च अलग से।