' मानस ' सामान्य सरोवर नहीं , वह तो रलाकर है , जिससे नवरस जप तप योग विरागा ' के अतिरिक्त और भी अनेक अनमोल रल भरे पड़े हैं । इस लघु पुस्तिका में अपनी लघुमति अनुरूप रामचरितमानसान्तर्गत गुप्त असंख्य रत्नों में से मात्र एक मोती को प्रकट करने का प्रयास किया गया है , जो मानस - मराल को प्रिय होगा । -'संतसेवी' २३-८-२००० पृष्ठ 80, मूल्य ₹20 मात्र डाकखर्च अलग ।