श्री सद्गुरु महाराज का आशीर्वचन ' ॐ ' क्या है ?इस सम्बन्ध में यह छोटी - सी पुस्तिका अत्यन्त सरलता से बोध दिलाती है ।इसमें सन्देह नहीं कि ' ॐ ' का विवेचन गम्भीर है ।फिर भी , मेरे प्रिय उत्साही लेखक शिष्य ने जो लिखा है , सो प्रशंसनीय है ।।वस्तुतः ‘ ॐ ' का स्वरूप गहरे ध्यान में ही विदित होने योग्य है ।यद्यपि इसका जप भी होता है ।परन्तु इसका यथार्थ स्वरूप ध्यान में ही प्राप्त हो सकता है ।इन बातों की जानकारी पुस्तक के पाट करने पर होगी ।यह सत्संग में पाठ करने के योग्य है ।साथ ही , पाठकगण पुस्तिका को कई बार पढ़ेंगे , तो ठीक - ठीक “ ॐ ' के विषय में कुछ अधिक जानकार हो सकेंगे ।शुभाकांक्षी -'मेंहीं' मकर - पूर्णिमा २०२६ वि०स०