कुछ ऐसे भी साधक हैं , जिन्हें अधिक दिनों के पश्चात् भी आंतरिक अनुभूतियाँ नहीं हो रही हैं । इसका खास कारण है । असंयमित जीवन व्यतीत करना । कछ ऐसे भी साधक हैं , जिन्हें यह भी पता नहीं है कि संयम किस चिडिया का नाम है । | साधकों को संयम की जानकारी , रहनी - गहनी की जानकारी हो , जिससे जप - ध्यान करने में कुछ मन लगे , कुछ आंतरिक अनुभूति भी हो । इसी उद्देश्य से साधकों के लिए कुछ संयम की बात इस ‘ साधक पीयूष ' पुस्तिका में लिखने का प्रयास किया हूँ । -'भगीरथ' पृष्ठ ६०+६, सहयोग राशि १५/-डाक खर्च अलग से।
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