प्रभु प्रेमियों ! स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज द्वारा संपादित गुरु महात्म्य पुस्तक अपने नामानुसार गुरु से संबंधित प्रत्येक बिंदु पर खुलासा करने वाली भगवान शंकर के संस्कृत श्लोकों से प्रमाणिक अति महत्वपूर्ण पुस्तक है. इसमें
गुरुगीता पुस्तक में आये संस्कृत श्लोकों से गुरु चरण व रज का माहात्म्य, गुरु का महत्व, गुरु गोविंद सम हैं, गुरु मंत्र की महिमा, गुरु पूर्णिमा के कर्तव्य, गुरु शब्द, गुरु शब्द की व्युत्पत्ति, श्री गुरु महात्म्य का अर्थ हिंदी में इत्यादि बातों की प्रमाणिक चर्चा है . इसकी प्रमाणिकता भगवान शंकर और माता पार्वती संवाद से की गई है.
"प्रणवदा शश्वनमस्कुर्वन्तमादरात् । दृष्ट्वा विस्मयमापना पार्वती परिपृच्छति ॥" प्राचीनकाल में सिद्धों और गंधवों के आवासरूप काल कैलास पर्वत के शिखर पर कल्पवृक्ष के फूलों से बने हुए अत्यन्त सुन्दर घने मुनियों के बीच व्याघ्रचर्म पर बैठे हुए , शुक आदि मुनियों द्वारा किये जानेवाले और परम तत्व का बोध देते हुए भगवान शंकर को बार - बार नमस्कार करते देखकर , अतिशय नम्र मुखवाली पार्वती आश्चर्यचकित होकर जो पूछा और शिव जी ने जो कहा उसी का वर्णन किया गया है।
पुस्तक में मात्र- पृष्ठ ४६, सहयोग राशि 60/- +डाकखर्च अलग .