प्रस्तुत ' संत - भजनावली सटीक ' नाम्नी टीका - पुस्तक में मध्यकालीन और आधुनिक ३५ संतों के १६० पद्यात्मक वचन संकलित किये गये हैं ।प्रत्येक पद्य के नीचे शब्दार्थ दिया गया है और शब्दार्थ के नीचे भावार्थ ।केवल १७ पद्यों के भावार्थों के नीचे टिप्पणियाँ दी गयीहैं ।शेष पद्यों के भावार्थों के नीचे टिप्पणियाँ देने की आवश्यकता महसूस नहीं की गयी , बिना टिप्पणियों के ही उनके अर्थ स्पष्ट हो जातहैं ।पुस्तक में संकलित सभी पद्य बड़े ही लोकप्रिय हैं , इनमें बड़ी गेयता तथा सरसता है ।धर्मप्रेमी इन सभी पद्यों को भाव - विभोर होकर गाते हुए देखे जाते हैं ।प्रायः सभी भजन - संकलनकर्ता इन्हीं सब पद्यों को अपने - अपने भजन - संकलन मेंस्थान दिया करते हैं ।मध्य - कालीन संतों के पद्यात्मक वचनों में अरबी - फारसी शब्दों का भी प्रयोग हुआ है ।संतवाणी में आये कठिन शब्दों के अर्थ जानने के लिए मैंने कई हिन्दी हिन्दी शब्दकोशों और कई उर्दू - हिन्दी शब्दकोशों का सहारा लिया है ।|अलंकृत , सूत्रात्मक तथा सांकेतिक होने के कारण पद्य के भावों को उनझने में बड़ी कठिनाई होती है ।सन्तवाणी का ठीक - ठीक अर्थ वहीं कर सकता है , जिसे अच्छी समझ -बूझ हो , भाषा तथा संतों के विचारों का ज्ञान हो और आध्यात्मिक साधना की अनुभूतियाँ भी ।
पृष्ठ 224, सहयोग राशि 135.00/-