सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की तपस्या एवं उनके निवास के कारण 'महर्षि मेंहीं आश्रम , कुप्पाघाट , भागलपुर भारतवर्ष का एक दर्शनीय आध्यात्मिक केन्द्र बन गया है ।यहाँ देशी और विदेशी पर्यटक प्रायः आते ही रहते हैं ।यहाँ आनेवाले पर्यटकों का कहना है कि इसआश्रमकी अवस्थिति बड़ी ही चित्ताकर्षक है ।वे सब यहाँ की पर्यटक -पुस्तिका में अपने - अपने भावपूर्ण उद्गार लिखे जाते हैं .यहां रहने वाले गुरु महाराज के प्रिय शिष्य पूज्यपाद लालदास जी महाराज अपने जीवन में जो कुछ भी घटित घटना देखें उन्हीं घटनाओं का वर्णन इस पुस्तक में किए हैं।
महर्षि मेंहीं के रोचक संस्मरण में स्तंभकार पूज्यनीय बाबा श्री लालदास जी महाराज अपने अंदाज़ में गुरुदेव के हृदयस्पर्शी अनुभव को बच्चों तक की समझ में आने वाली सहज सरल भाषा में लिखने से पहले हर व्यक्तित्व का समझ रखते हुए जीवन की घटना, अतीत पर आधारित यात्रा, पुनर्जन्म, रोचक पल आदि घटनाओं का सजीव वर्णन किया है.
पृष्ठ 224, सहयोग राशि 145.00,