प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज का यह प्रवचन भारत देश के, बिहार प्रांत के पूर्णियां (अब कटिहार) जिलांतर्गत भंगहा ग्राम में आयोजित 'साध-मेला' नामक संतमत सत्संग में दिनांक- 30-12-1922 ई. को अपराह्न काल में हुआ था। इसमें बताया गया है कि मनुष्य के पास समय कम है और कर्त्तव्यों का बहुत बड़ा बोझ है; उन कर्त्तव्यों में से सबसे बड़ा कर्तव्य है- ईश्वर भजन करना। इस कर्त्तव्य को समय पर पूरा कर लेने में ही मनुष्य जन्म की सार्थकता है। पूरी जानकारी के लिए इस प्रवचन को पूरा पढें। यह पुस्तक सभी सत्संगियों को अवश्य रखना चाहिए; खास करके जो नए दीक्षार्थी हैं; उनके लिए यह पुस्तक बहुत ही उपयोगी है। #इसमें मनुष्य जीवन को सार्थक एवं सफल बनाने के महत्वपूर्ण प्रवचन के साथ स्तुति-बिनती और कुछ भजनों का भी संकलन किया गया है ।# मूल्य भी बहुत कम है। अगर आप इसे किसी सत्संग के अवसर पर ऑनलाइन में यह ₹45/- + शिपिंग चार्ज पड़ेगी जो आपके घर पर सुरक्षित पहुंचा दी जाएगी। बढ़िया कागज़ के साथ मात्र रु.45/- की सहयोग राशि पर 64 पृष्ठ की पुस्तक।