इस पुस्तक से मुमुक्षु पाठकों को कुछ ज्ञान लाभ हो। कुंडलियां लिखने से चिंतन-मनन का अवसर प्राप्त होता है। चिंतन-मनन करने से बौद्धिक विकास होता है। जो हमारे आत्मोत्थान में सहायक बनता है। अपनी तीव्र अनुभूतियों को किसी-न-किसी प्रकार अभिव्यक्ति दिये बिना चैन भी नहीं मिलता। चौबीसों घंटे कोई ध्यानाभ्यास नहीं कर सकता। किसी-न-किसी अच्छे काम में मन को लगाए रखना चाहिए। ---छोटेलाल दास