"गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने कहा है-- ""विधि हरिहर कवि कोविद बानी। कहत साधु महिमा सकूंचानी।। सुनि मुनि साधन के गूंण जेते। कहीं न सकहीं सारद स्रुति तेते।। इस पुस्तक में सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज का जीवंत वर्णन किया गया है। जो प्रत्येक साधक को प्रेरणादायक उत्साहवर्धक एवं मोक्ष प्रदायक होगा।"