प्रस्तुत पुस्तक परिवर्धित चेतावनी भजनमाला द्वितीय संस्करण पाठकों के विशेष लाभ को ध्यान में रखकर इसे वृहद बनाया गया है । इसमें लगभग -495 भजन संकलित हैं । संत - महात्मा इस धराधाम पर अवतीर्ण होकर अचेत मानव को ज्ञान - गंगा में अवगाहन काराया करते हैं । संतों ने सदा से सर्वजन हिताय और परोपकार की भवना से शिक्षा - दीक्षा दी है । संतवाणी के विषय में एक सुभाषितकार का वचन है संत वचन वह सुधा , देव भी जिसके सदा भिखारी । संत वचन वह धन है , जिसका नर प्रधान अधिकारी ॥ मर्त्य अमर बन जाता , वह संजीवन रज है । संत वचन सब भव रोगों का , रामवाण भेषज है । जो कोई संत - वचनों के आधार पर अपने जीवन को ढालेंगे , उनका कल्याण अवश्य होगा । कभी कभी संत - वाणियों को सुन - सुनकर मेरा मन बरवश आकर्षित हो जाया करता था । उन्हीं आत्मोद्धारक वाणियों में से कुछ ज्ञेय पद्यों का संकलन ' चेतावनी भजनमाला ' पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया गया है । इस पुस्तक को पढ़कर पाठकों को एक आन्तरिक आनन्द की अनुभूति होगी ऐसा मेरा विश्वास है । इसमें समदन , लगनी , स्वागत - गान , चेतावनी आदि भजनों का समावेश किया गया है ।